ब्रह्मसर दादावाड़ी में गुरु पूर्णिमा पर हुआ महापूजन। Panawara TV
ब्रह्मसर दादावाड़ी में गुरु पूर्णिमा पर हुआ महापूजन। Panawara TV
सेकड़ो भक्तो ने गुरू की चरण पादुकाओं का किया पूजन।
बाड़मेर के ब्रह्मसर तीर्थ पर चल रही 51 दिवसीय चातुर्मास की आराधना के दौरान हर माह के दौरान इस माह भी गुरू पूर्णिमा के दिन विशेष अवसर पर कुशल दर्शन मित्र मण्डल बाड़मेर व जिनकुशल युवा मंडल जैसलमेर की ओर से गुरूदर्शन यात्रा का आयोजन किया गया। कुशल दर्शन मित्र मण्डल के पुखराज म्याजलार व राजू वडेरा ने बताया कि इस बार ब्रह्मसर में संयोग रहा कि 400 साल पूराने गुरूदेव के चरण पादुकाओं के साथ-साथ उपाध्याय प्रवर मनोज्ञसागर महाराज सा की उपस्थिति रही। म्याजलार ने बताया कि यात्रा संघ सैकड़ो गुरुभक्तों के साथ सैकड़ो यात्री स्थानीय आराधना भवन से 2 बसों व अन्य वाहनों से बाड़मेर से रवाना होकर लौद्रवपुर तीर्थ पहुंचा जहां पार्श्वनाथ दादा के दर्शन कर पूजा अर्चना की गई।
गुरू पूर्णिमा पर विशेष प्रवचन का भी आयोजन हुआ। जंगल में मंगल ओर मंगल में अतिमंगल करें। अपूर्ण को पूर्ण करें ऐसी विषेष तिथि है गुरू पूर्णिमा। गुरू ही एक मात्र ऐसा चमत्कार है जो भाग्य को भी बदलने की शक्ति रखता है। उक्त बात ब्रहमसर में प्रारम्भ हुए चार्तुमास के प्रवचन में उपाध्याय प्रवर मनोज्ञसागर महाराज सा ने कही। उपाध्याय प्रवर ने कहा कि जिस तरह पिता के बिना इंसान के पहचान नही होती ठीक उसी तरह प्राणी के जीवन में गुरू नही उसका व्यवहारिक ओर आध्यत्मिक उत्थान नही हो सकता। इसी तरह उन्होने गुरू को पारसमणि ओर शिष्य को लोहा बताते हुए कहा कि गुरू के सम्पर्क में आने से लोहा भी सोना बन जाता है। उपाध्याय प्रवर ने अनेक वृतात सुनाते हुए गुरू महिमा की महत्ता को बताया। उपाध्याय मनोज्ञ सागर चार्तुमास कमेटी के संयोजक बाबुलाल छाजेड़ नवसारी व ज्ञानीराम मालू ने बताया कि ब्रहमसर में गुरू पूर्णिमा के साथ ही 200- 250 आराधको की आराधना प्रारम्भ हो गई। प्रथम दो माह के बाद अगले दो माह तक तप आराधना होगी। गुरु पूर्णिमा के दिन बाड़मेर-जैसलमेर सहित भादरेश, चोहटन, धोरीमना, देवीकोट, देवड़ा, व कई आस-पास के क्षेत्र से गरूभक्त दर्शन करने शामिल हुए।
बाड़मेर से कपिल मालू की रिपोर्ट।
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